Sunday, March 13, 2011

ऐसा कौन है जिसकी जिंदगी में दुःख ना हो?

अक्सर समाज में ऐसे लोग मिल जाते हैं जो यह कहते हुए नज़र आते हैं कि हमारी जिंदगी में तो सिर्फ़ दुःख ही दुःख है| कभी भगवान को कोसते हैं तो कभी किस्मत को दोष देते हैं| हालाँकि ऐसा नहीं है कि वो झूठ बोलते हैं या दिखावे की कोशिश करते हैं| लेकिन कभी हम यह क्यों नहीं सोचते कि सामने वाला व्यक्ति हमसे भी ज्यादा ग़मों का पहाड ढोए जी रहा है? हमें तो बस यह लगता है कि वह व्यक्ति जो हमारे सामने खड़ा है उसकी ज़िंदगी में सबकुछ अच्छा हो रहा है| जबकि ऐसा नहीं है, दुनिया में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसकी ज़िंदगी में दुःख ना हो| हर व्यक्ति किसी ना किसी वजह से दुखी है| तो फिर क्यों हम अपने दुःख को लेकर चिंतित रहते हैं? फिर हमें ऐसा क्यों लगता है कि दुनिया के सारे गम हमारी ही ज़िंदगी में समा चुके हैं?

दरअसल सोचने के ढंग और देखने के नजरिये में फर्क के चलते हमें ऐसा महसूस नहीं हो पाता| आप दुनिया को अपनी नजर से देखने की कोशिश करते हैं, इसलिए आपको अपनी चिंता हमेशा सताती है| दुनिया को दुनिया की नज़र से देखने की कोशिश कीजिये तो दूसरों के गम भी नज़र आयेंगे फिर आपको यह लगेगा कि इस पृथ्वी पर जीवों को इतने कष्ट झेलने पड़ते हैं, इतना दुःख उठाना पड़ता है कि उसके सामने हमारा गम तो कुछ भी नहीं है| हम तो बेकार चिंतित हो रहे थे|

दूसरी बात यह भी है कि परिस्थितियों से ही आदमी मजबूत बनता है| अगर आपके ऊपर ग़मों का पहाड टुटा है तो झेलना आपको ही पड़ेगा कोई पडोसी दर्द बाँट नहीं सकता| सांत्वना के दो शब्द कहने वाले इस मतलबी दुनिया में मिल जाएँ तो आप सबसे भाग्यशाली व्यक्ति हैं| और अगर झेलना आपको ही है तो फिर उस चिंता में अपना भविष्य खराब क्यों किया जाये?

जब परिस्थितियाँ विपरीत हों तब हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि मानव सभ्यता के शुरुआत से आज तक जितने भी युगों में संसार को बांटा गया है, उनमे से किस युग में समस्याएं नहीं रही? भगवान विष्णु के दस अवतारों की गाथा हम धर्मग्रंथों - पुराणों में पढते हैं लेकिन उनमे एक भी ऐसा युग नहीं रहा जब लोगों को परेशानियां नहीं झेलनी पड़ी, दुःख नहीं उठाना पड़ा| स्वयं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम को भी वनवास जैसे घोर संकट से गुजरना पड़ा उसके बाड़ भी कठिनाईयाँ कम नहीं हुई| कृष्ण को भी विरह वेदना की अग्नि में जलना पड़ा था| फिर हम और आप तो एक साधारण से मनुष्य हैं| ये संसार एक नदिया है और दुःख-सुख इसके किनारे हैं| यह आते रहेंगे जाते रहेंगे इसलिए हमें दुःख को भी खुशी से गले लगाना चाहिए| सच्चा बहादुर मनुष्य तो वही है जो विपरीत परिस्थितियों में भी अपना धैर्य नहीं खोता|

गिरिजेश कुमार

4 comments:

  1. सकारात्मक आलेख..... नज़रिया बदलते ही हालात भी बदले नज़र आते हैं..... बहुत बढ़िया

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  2. सही कहा आपने .....ऐसा कौन है जिसकी जिंदगी में दुःख ना हो?
    अच्छेआ और गंभीर विषयों पर ध्यािन आकर्षित करने और मनन करने का अवसर देने के लिए आपका आभार।

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  3. सच्चा बहादुर मनुष्य तो वही है जो विपरीत परिस्थितियों में भी अपना धैर्य नहीं खोता...

    लेख बहुत ही प्रेरणा दायक है.
    आप की बातों से सहमत हूँ.

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  4. प्रेरक आलेख

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